बाल कहानी
जिद्दी टिन्नी
जब से दादी आई है मानसी के मजे आगये हैं.हर समय एक ही फरमाइश–‘दादी एक कहानी सुनाओ न .’
‘ ठीक है मानसी पर यह अंतिम कहानी सुना रही हूँ.'
ईमेल – agarwalpavitra78@gmail.com
पवित्रा अग्रवाल
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जिद्दी टिन्नी
पवित्रा अग्रवाल
‘ ठीक है मानसी पर यह अंतिम कहानी सुना रही हूँ.'
'ठीक है दादी
'तो सुनो– एक लड़की थी .उसका नाम टिन्नी था .’
‘दादी टिन्नी उसके घर का नाम था या स्कूल का ?’
‘घर का, घर में सब उसे टिन्नी कह कर बुलाते थे .’
‘और स्कूल में उसका क्या नाम था ?’
‘स्कूल में उसका नाम टीना था . वह मम्मी पापा की अकेली बेटी थी .’
‘मेरी तरह वह भी अकेली थी ?...उसके कोई भाई बहन नहीं था ?’
‘हाँ वह अकेली थी .मम्मी पापा उसको बहुत प्यार करते थे इसलिए वह बहुत जिद्दी हो गई थी .वह जो मांगती थी उसे सब एक बार में मिल जाता था .कभी उसका कहा पूरा नहीं होता था तो वह जोर जोर से रोती थी और कहती थी आप लोग बहुत गंदे हो ,मुझे प्यार नहीं करते .’
‘अच्छा टिन्नी ऐसा कहती थी ,मै तो मम्मी पापा से ऐसा कभी नहीं कहती .फिर क्या हुआ दादी ?’
‘एक दिन टिन्नी स्कूल से बहुत खुश खुश आई और मम्मी को बताया ‘आज मेरी सहेली तारा का बर्थ डे है .शाम को हमें उनके घर जाना है.’
मम्मी ने कहा -‘टिन्नी आज मेरी तबियत बहुत ख़राब है आज मै नहीं जा पाऊँगी ’
‘आप नहीं जाओगी तो मै कैसे जाउंगी?कुछ भी हो मुझे तो जरुर जाना है कह कर वह जोर जोर से रोने लगी...आप कोई भी मुझे प्यार नहीं करते ...मै जरुर जाउंगी '.
‘फिर वो गई दादी ?’
‘हाँ उसकी मम्मी की तबियत बहुत ख़राब थी पर उसे रोता देख कर उन्हें जाना पड़ा.वहां जाकर मम्मी को बुखार और तेज हो गया, उनको वोमिटिंग भी होने लगी .मम्मी ने पापा को फोन करके बुलाया .पहले तो पापा गुस्सा हुए की तबियत ख़राब थी तो बर्थ डे में नहीं आना चाहिए था .फिर पापा मम्मी को लेकर हॉस्पिटल गए .वहां डॉक्टर ने मम्मी को भर्ती कर लिया ’
'तो सुनो– एक लड़की थी .उसका नाम टिन्नी था .’
‘दादी टिन्नी उसके घर का नाम था या स्कूल का ?’
‘घर का, घर में सब उसे टिन्नी कह कर बुलाते थे .’
‘और स्कूल में उसका क्या नाम था ?’
‘स्कूल में उसका नाम टीना था . वह मम्मी पापा की अकेली बेटी थी .’
‘मेरी तरह वह भी अकेली थी ?...उसके कोई भाई बहन नहीं था ?’
‘हाँ वह अकेली थी .मम्मी पापा उसको बहुत प्यार करते थे इसलिए वह बहुत जिद्दी हो गई थी .वह जो मांगती थी उसे सब एक बार में मिल जाता था .कभी उसका कहा पूरा नहीं होता था तो वह जोर जोर से रोती थी और कहती थी आप लोग बहुत गंदे हो ,मुझे प्यार नहीं करते .’
‘अच्छा टिन्नी ऐसा कहती थी ,मै तो मम्मी पापा से ऐसा कभी नहीं कहती .फिर क्या हुआ दादी ?’
‘एक दिन टिन्नी स्कूल से बहुत खुश खुश आई और मम्मी को बताया ‘आज मेरी सहेली तारा का बर्थ डे है .शाम को हमें उनके घर जाना है.’
मम्मी ने कहा -‘टिन्नी आज मेरी तबियत बहुत ख़राब है आज मै नहीं जा पाऊँगी ’
‘आप नहीं जाओगी तो मै कैसे जाउंगी?कुछ भी हो मुझे तो जरुर जाना है कह कर वह जोर जोर से रोने लगी...आप कोई भी मुझे प्यार नहीं करते ...मै जरुर जाउंगी '.
‘फिर वो गई दादी ?’
‘हाँ उसकी मम्मी की तबियत बहुत ख़राब थी पर उसे रोता देख कर उन्हें जाना पड़ा.वहां जाकर मम्मी को बुखार और तेज हो गया, उनको वोमिटिंग भी होने लगी .मम्मी ने पापा को फोन करके बुलाया .पहले तो पापा गुस्सा हुए की तबियत ख़राब थी तो बर्थ डे में नहीं आना चाहिए था .फिर पापा मम्मी को लेकर हॉस्पिटल गए .वहां डॉक्टर ने मम्मी को भर्ती कर लिया ’
'भर्ती करना क्या होता है दादी ?’
‘भर्ती करना यानि एडमिट कर लिया और कहा दो – तीन दिन उनको हॉस्पिटल में ही रहना पड़ेगा पर बच्चों को हम अन्दर नहीं आने देते .इस लिए आप की बेटी यहाँ नहीं रह सकती .’
‘बच्चों को वहां क्यों नहीं रहने देते दादी ?’
‘अस्पताल में बहुत तरह के बीमार रहते हैं.बच्चों को इन्फेक्शन न हो जाये, इसी लिए बच्चों को नहीं आने देते .’
‘उसके पापा को भी तो इन्फेक्शन हो सकता है, उनको क्यों आने दिया ?’
‘मानसी , बच्चों को इन्फेक्शन जल्दी होता है इस लिए नहीं आने देते .’
‘दादी फिर टिन्नी कहाँ रही ?’
‘टिन्नी को उसके पापा उसके चाचा चाची के घर छोड़ आये.’
‘चाचा-चाची किस को कहते हैं दादी ?’
‘पापा के छोटे भाई को चाचा कहते हैं’
‘दादी मेरे चाचा नहीं हैं ?’
‘तुम्हारे पापा के कोई भाई नहीं है, इसलिए तुम्हारे कोई चाचा नहीं है’
‘मेरी मम्मी बीमार हो गई तो दादी मै कहाँ रहूंगी ?’
‘मानसी मुझे बहुत जोर से निन्नी आ रही है,बीच बीच में तुम इसी तरह सवाल पूछती रही तो कहानी पूरी कैसे होगी ?’
‘ठीक है दादी अब नहीं बोलूंगी ,आप पूरी कहानी सुना दो.’
‘मै तो यह भी भूल गई कि मै ने कहानी कहाँ तक सुनाइ थी?’
‘टिन्नी को उसके पापा चाचा-चाची के पास छोड़ कर चले गए .दादी वो साथ जाने को रोई नहीं ?’
‘टिन्नी खूब रोई पर पापा को गुस्सा आगया बोले चलो अपने घर, रात को वहां अकेली रहना,मै सुबह आ जाऊंगा.’
‘फिर क्या हुआ दादी ? ‘टिन्नी ने रोना बंद कर दिया और कहा ठीक है पापा आप जाओ ,सुबह जल्दी आजाना .फिर टिन्नी की चाची ने उसे खाना खिलाया और प्यार से समझाया की अच्छे बच्चे जिद्द नहीं करते हैं .बताओ जब तुम्हारी मम्मी की तबियत ख़राब थी तो तुमने उन्हें घर में आराम क्यों नहीं करने दिया ?’
टिन्नी ने कहा --‘मम्मी नहीं जातीं तो मैं भी बर्थ डे में नहीं जा पाती.’
चाची ने समझाया - ‘टिन्नी जब तुम्हें बुखार आता है तो मम्मी तुम्हें स्कूल भेजती हैं ?...नहीं भेजती न ? ...इसी तरह जब मम्मी बीमार थीं तो तुमको कहना चाहिए था कि मम्मी आप आराम करिए, बर्थ डे में नहीं जाऊंगी.कहना चाहिए था न?’
‘हाँ चाची मुझसे गलती हो गई .आगे से जिद्द नहीं करूंगी .’
चाची ने कहा –‘ गुड गर्ल , चलो अब जल्दी से सो जाओ .हो सकता है मम्मी कल सुबह ही आजायें . ‘
‘दादी फिर टिन्नी की मम्मी सुबह आगई थीं ?’
‘हाँ आगई थीं , अब तुम भी जल्दी से सो जाओ मानसी, दादी को भी बहुत जोर से नींद आरही है .’
‘गुड नाइट दादी ,अब आप वापस मत जाना दादी .मम्मी बीमार हुई तो मैं किस के पास रहूंगी ,मेरे तो चाचा –चाची यहाँ कोई भी नहीं रहते हैं.’
‘ ठीक है , अब तुम सो जाओ और दादी को भी सोने दो .बाकी बात कल करेंगे ,गुड नाईट मानसी ‘
‘गुड नाईट दादी .’
‘भर्ती करना यानि एडमिट कर लिया और कहा दो – तीन दिन उनको हॉस्पिटल में ही रहना पड़ेगा पर बच्चों को हम अन्दर नहीं आने देते .इस लिए आप की बेटी यहाँ नहीं रह सकती .’
‘बच्चों को वहां क्यों नहीं रहने देते दादी ?’
‘अस्पताल में बहुत तरह के बीमार रहते हैं.बच्चों को इन्फेक्शन न हो जाये, इसी लिए बच्चों को नहीं आने देते .’
‘उसके पापा को भी तो इन्फेक्शन हो सकता है, उनको क्यों आने दिया ?’
‘मानसी , बच्चों को इन्फेक्शन जल्दी होता है इस लिए नहीं आने देते .’
‘दादी फिर टिन्नी कहाँ रही ?’
‘टिन्नी को उसके पापा उसके चाचा चाची के घर छोड़ आये.’
‘चाचा-चाची किस को कहते हैं दादी ?’
‘पापा के छोटे भाई को चाचा कहते हैं’
‘दादी मेरे चाचा नहीं हैं ?’
‘तुम्हारे पापा के कोई भाई नहीं है, इसलिए तुम्हारे कोई चाचा नहीं है’
‘मेरी मम्मी बीमार हो गई तो दादी मै कहाँ रहूंगी ?’
‘मानसी मुझे बहुत जोर से निन्नी आ रही है,बीच बीच में तुम इसी तरह सवाल पूछती रही तो कहानी पूरी कैसे होगी ?’
‘ठीक है दादी अब नहीं बोलूंगी ,आप पूरी कहानी सुना दो.’
‘मै तो यह भी भूल गई कि मै ने कहानी कहाँ तक सुनाइ थी?’
‘टिन्नी को उसके पापा चाचा-चाची के पास छोड़ कर चले गए .दादी वो साथ जाने को रोई नहीं ?’
‘टिन्नी खूब रोई पर पापा को गुस्सा आगया बोले चलो अपने घर, रात को वहां अकेली रहना,मै सुबह आ जाऊंगा.’
‘फिर क्या हुआ दादी ?
टिन्नी ने कहा --‘मम्मी नहीं जातीं तो मैं भी बर्थ डे में नहीं जा पाती.’
चाची ने समझाया - ‘टिन्नी जब तुम्हें बुखार आता है तो मम्मी तुम्हें स्कूल भेजती हैं ?...नहीं भेजती न ? ...इसी तरह जब मम्मी बीमार थीं तो तुमको कहना चाहिए था कि मम्मी आप आराम करिए, बर्थ डे में नहीं जाऊंगी.कहना चाहिए था न?’
‘हाँ चाची मुझसे गलती हो गई .आगे से जिद्द नहीं करूंगी .’
चाची ने कहा –‘ गुड गर्ल , चलो अब जल्दी से सो जाओ .हो सकता है मम्मी कल सुबह ही आजायें . ‘
‘दादी फिर टिन्नी की मम्मी सुबह आगई थीं ?’
‘हाँ आगई थीं , अब तुम भी जल्दी से सो जाओ मानसी, दादी को भी बहुत जोर से नींद आरही है .’
‘गुड नाइट दादी ,अब आप वापस मत जाना दादी .मम्मी बीमार हुई तो मैं किस के पास रहूंगी ,मेरे तो चाचा –चाची यहाँ कोई भी नहीं रहते हैं.’
‘ ठीक है , अब तुम सो जाओ और दादी को भी सोने दो .बाकी बात कल करेंगे ,गुड नाईट मानसी ‘
‘गुड नाईट दादी .’
ईमेल – agarwalpavitra78@gmail.com
पवित्रा अग्रवाल
मेरे ब्लाग्स ---
http://Kahani-Pavitra.blogspot
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